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वास्तु ज्ञानामृत

🛕 वास्तु ज्ञानामृत 🛕

वास्तुशास्त्र के अनुसार सेप्टिक टैंक को किस दिशा में बनाना चाहिए ???

शास्त्र में सेप्टिक टैंक की बात नही है…… क्योंकि उस वक़्त घर मे शौचालय नही होते थे।

👉 चूंकि आज हमें यह बनाने ही होते है, इसलिये ऐसी जगह बनाना चाहिये जहां नुकसान कम हो वैसे इसे घर मे बनाने से नुकसान तो निसंदेह है ही।

👉 वायु कोण में इसे पश्चिम की ओर एकदम किनारे को छोड़ कर तथा

👉 यदि घर की दीवाल ओर प्लाट की दीवाल अलग हो,,,, तथा यह प्लाट की दीवाल की तरफ बनाई जाए, तो नुकसान कम होगा।

👉 सेप्टिक टैंक बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है :- 

1) ऊँचा या नीचा
2) भारी और हल्का
3) उस स्थान का तत्व
4) उस स्थान की शुद्धता

👉आठों दिशाओं में सबसे ऊँचा और सबसे भारी दिशाओं का क्रम निम्न है :-

नैऋत्य > दक्षिण> आग्नेय >पश्चिम> वायव्य>पूर्व>उत्तर>ईशान

👉 अर्थात नैऋत्य सबसे ऊँचा और सबसे भारी

👉 ईशान सबसे नीचा और सबसे हल्का

👉 अगर नैऋत्य कोण के पास सेप्टिक टैंक बनाएंगे तो दो नियम भंग हो रहा है । नैऋत्य भारी होता है तो सेप्टिक टैंक की निकली मिट्टी उस कोण को हल्का करेगा ।

👉नैऋत्य कोण का सेप्टिक टैंक उस कोण को नीचा करेगा । इसलिए इस को पर सेप्टिक टैंक हानिकारक हो सकता है ।

👉 इस कोण का सेप्टिक टैंक नैऋत्य कोण के बोर के समान दोष देते हुए मैंने देखा है ।

👉 इसलिए अगर आपको अपने भवन में सेप्टिक टैंक बनाना है तो उसे वायव्य (उत्तर पश्चिम) कोण पर बनाये !!

👆 Corner of another building :- किसी भी निर्माण का कोना यदि मुख्य प्रवेश द्वार की ओर हो तो यह नकारामक उर्जा को
मुख्य द्वार की ओर भेजता है अतः मुख्य द्वार बनाते समय यह ध्यान रखें कि किसी भी भवन का कोना आपके द्वार के ठीक सामने ना हो !!