श्री भक्तामर उर्जा & कलर थेरेपी
श्री भक्तामर महास्तोत्र की महिमा भी अनंत है, किसी भी प्रकार की बाधा, दुख , बीमारी, कार्य में विफलता आदि परेशनिया सबके जीवन में आती जाती रहती हैं, इन सभी के निराकरण के लिए हमारे पास अभी एक उत्तम मंत्र साधना है जिसको हम श्री भक्तामर महास्तोत्र हीलिंग के माध्यम से अनुभव करेंगे |
एक बात तो निश्चित है कि इस स्तोत्र में , श्री भक्तामर की गाथाओं में कुछ ऐसा अनोखा तत्व छुपा हुआ है , कि सदियाँ बीत जाने पर भी उसका प्रभाव अद्भुत है।
यह शाश्वत सत्य है की पूरी आस्था, निष्ठा एवं समर्पण के भावालोक में इस स्तोत्र का गान जब होता है, तब असीम आनंद की अनुभूति में अस्तित्व झूम उठता है|
आचार्य श्री मानतुंग सूरीजी का लिखा श्री भक्तामर स्तोत्र सभी जैन परंपराओं में सबसे लोकप्रिय एवं अनंत उर्जा देनेवाली संस्कृत प्रार्थना है। भक्त को अमर बनाने वाला महास्तोत्र है श्री भक्तामर महास्तोत्र |
श्री “भक्तामर महास्तोत्र” भक्ति प्रधान स्तोत्र है, जैन काव्य परंपरा में इस स्तोत्र की बहोत ही उत्तम महिमा और गरिमा हैं एवं इसकी एक स्वतंत्र पहचान है |
मंत्र शक्ति में आस्था रखने वालो के लिए यह एक दिव्य स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भक्ति भाव की इतनी सर्वोच्चता है कि यदि आपने सच्ची श्रद्धा से इसका पाठ किया तो आपको साक्षात ईश्वर की अनुभति होती ही है।
भक्ति एक सेतु है जो भगवान को हमारे पास लाती है और इस सेतु को हम श्री भक्तामर हीलिंग के माध्यम से जोड़ेंगे …
प्रत्येक गाथा के उसके ऋद्धि-मंत्र प्राचीन हस्तप्रत पर आधारित हैं। जो आपको सच्ची श्रद्धा से गिनने पर धन्यता एवं दिव्यता जरुर देंगे ही देंगे |
कलर थेरेपी
कलर थेरेपी वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ करने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है।
रंगों द्वारा स्वास्थ्य विकारों की वजह से हमारे भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर हुए ऊर्जा असंतुलन को बहाल करने काम किया जाता है।
हम रोजाना विभिन्न प्रकार के बहुत सारे रंग देखते हैं। प्रत्येक रंग हमारे मन पर अलग ढंग का प्रभाव डालता है, जैसे- खुशी, उदासी , अवसाद , गर्मी , शांति , क्रोध और जुनून आदि।
पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत क्या है ? जी हां – यह सूर्य का प्रकाश है, जो कि अलग-अलग तरंग-दैर्ध्यों से निर्मित है।
सूर्य के प्रकाश का हम पर चिकित्सकीय प्रभाव पड़ता है, सूर्य की उर्जा – किरने – रौशनी में सारे रंग छुपे हुए है |
प्राणियों का संपूर्ण शरीर कोई न कोई रंगों का ही मिश्रण है। शरीर के समस्त अवयवों का रंग अलग-अलग है। शरीर की समस्त कोशिकाएँ भी रंगीन हैं।
शरीर का कोई अंग बीमार होता है तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है जिसके कारण रोग का निवारण हो जाता है।
सूर्य की रश्मियों में 7 रंग पाए जाते हैं : –
1. लाल, 2. पीला, 3. नारंगी, 4. हरा, 5. नीला, 6. आसमानी, 7. बैंगनी
रंग से व्यक्ति के मनोभाव प्रगट होतें है – रंगों से ही मनोभाव को परिवर्तित किया जाता है , रंगों में व्यक्ति को उर्जावान , प्रभावक ,सकारात्मक बनाने की ताकत छुपी हुई है |
:नारंगी रंग:
नारंगी रंग लाल व पीले रंग से मिश्रित होता है। इस रंग के प्रयोग से दोनों रंगों का मिश्रित प्रभाव मिलता है। यह रंग ज्ञान व शक्ति का संतुलित प्रभाव देता है। तभी तो साधु-संतो का चोला केसरिया रंग का होता है। यह रंग अध्यात्म व संसारिक गुणों का संतुलन स्थापित करता है। महत्वकांक्षा को बढ़ाना, भूख बढ़ाना व श्वास के रोगों से आराम देना इस रंग के गुण हैं।
कफजनित खाँसी, बुखार, निमोनिया आदि में लाभदायक। श्वास प्रकोप, क्षय रोग, एसिडीटी, फेफड़े संबंधी रोग, स्नायु दुर्बलता, हृदय रोग, गठिया, पक्षाघात (लकवा) आदि में गुणकारी है। पाचन तंत्र को ठीक रखती है। भूख बढ़ाती है। स्त्रियों के मासिक स्राव की कमी संबंधी कठिनाइयों को दूर करती है।
: हरा रंग :
हरा रंग सहयोग व विस्तार की भावना विकसित करता है। इस रंग के प्रयोग से व्यक्ति नेत्र रोग, कमजोर ज्ञानतंतु, अल्सर, कैंसर व चर्म रोगों से निजात पाता है। यह रंग नेत्रों को शीतलता प्रदान करता है। यह रंग “बुध ग्रह” का प्रतिनिधित्व करता है। बौद्धिक विकास के लिए जातक को हरे रंग का पन्ना रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।
खासतौर पर चर्म रोग जैसे- चेचक, फोड़ा-फुंशी, दाद, खुजली आदि में गुणकारी साथ ही नेत्र रोगियों के लिए (दवा आँखों में डालना) मधुमेह, रक्तचाप सिरदर्द आदि में लाभदायक है।
: नीला रंग :
नीला रंग सत्य ,आशा, विस्तार, स्वच्छता व न्याय का प्रतीक है। यह रंग स्त्री रोग, पेट में जलन, गर्मी, महत्वपूर्ण बल की कमी आदि के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है।
शरीर में जलन होने पर, लू लगने पर, आंतरिक रक्तस्राव में आराम पहुँचाता है। तेज बुखार, सिरदर्द को कम करता है। नींद की कमी, उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया, मानसिक विक्षिप्तता में बहुत लाभदायक है।
टांसिल, गले की बीमारियाँ, मसूड़े फूलना, दाँत दर्द, मुँह में छाले, पायरिया घाव आदि चर्म रोगों में अत्यंत प्रभावशाली है। डायरिया, डिसेन्टरी, वमन, जी मचलाना, हैजा आदि रोगों में आराम पहुँचाता है। जहरीले जीव-जंतु के काटने पर या फूड पॉयजनिंग में लाभ पहुँचाता है।
: पीला रंग :
पीला रंग ज्ञान और सात्विकता का प्रतिनिधित्व करता है। पीला रंग “गुरु ग्रह” का प्रतिनिधित्व करता है।
व्यक्ति में ज्ञान और वैराग्य भावना विकसित कर सम्मानित जीवन जीने के लिए पीले रंग का पुखराज रत्न ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।
खांसी, जुखाम, लीवर संबंधित बीमारियां कब्ज़, पीलिया, सूजन व तंत्रिका तंत्र की कमज़ोरी के उपचार में प्रयुक्त होता है।
: बैंगनी रंग :
बैंगनी रंग लाल व नीले रंग के मिश्रण से बनता है। इस रंग का प्रयोग यश, प्रसिद्धि व उत्साह प्रदान करता है। यह रंग रक्त शोधन के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
दर्द, सूजन, बुखार व कार्य क्षमता की वृद्धि के लिए इस रंग का प्रयोग किया जाता है। बैंगनी रंग सुस्त मस्तिष्क को उत्सव व आशा प्रदान करता है।
Sr.No | Colour | Dieses | Chakra | Shree Bhaktamar Gatha |
1 | लाल | लीवर के प्रोब्लम | मूलाधार चक्र | 17 – नास्तं कदचिदुपयासी |
2 | नारंगी | हड्डी के दांत के प्रॉब्लम | स्वाधिष्ठान चक्र | 36 – कल्पान्तकाल |
3 | पीला | नर्व सिस्टम , ब्लड रिलेटेड , कैंसर , एसिडिटी | मणिपुर चक्र | 43 – मत्द्विपेंद्र 25 – बुद्धत्स्व्मेव |
4 | लीला | इन्फेक्शन , इंजरी ,सर्जरी | अनाहत चक्र | 41 – उद्भूत |
5 | ब्लू | चर्म रोग , iching , burns, cuts | विशुद्ध चक्र | 04 – वक्तुं गुणन |
6 | इंडिगो | Muscle Strength, tumor, diabetes, bp, किडनी, | आज्ञा चक्र | 22 – स्त्रिनाम 24 – त्वाम्व्यय्म |
7 | पर्पल | डिप्रेशन , चिंता , गुस्सो , डर , थाक , तनाव , इर्षा, अशांति , अजम्पो | सह्स्तार चक्र | 1 – भक्तामर प्रनात्मौली 25 – बुद्दत्स्व्मेव 39 – कुंताग्र |
श्री भक्तामर हीलिंग सिखने के उत्कृष्ट लाभ :
1 . हीलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा मे परिवर्तित करती है और सुख -शांति और समृद्धि प्रदान करती है और साथ ही साथ सेहत भी अच्छा बनाती है। मंत्र थैरेपी में भी इसका उपयोग भारत एवं विदेशों में होता है, इसके भी कई सारे प्रमाण हैं। इस स्तोत्र की महिमा वक्त के साथ बढ़ती ही जा रही है| संपूर्ण जाग्रता से रोज श्री भक्तामर हीलिंग करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
2 . हमारे शरीर में 07 चक्र होते है जो प्राण या फिर आत्मिक उर्जा के केंद्र है , हर एक चक्र में एक बीज मंत्र होता है …. श्री भक्तामर महास्तोत्र के हर एक श्लोकों में ‘म’, ‘न’, ‘त’ व ‘र’ ये 4 अक्षर पाए जाते हैं जो मानव शरीर के चक्रों के बीजमंत्र है । इस कोर्स के माध्यम से आप चक्रों एवं आभामंडल के बारे में जानेंगे … उनकी शुद्धि भी कर पाएंगे |
3 . निरंतर चिरकाल के लिए ख़ुशी… ख़ुशी… ख़ुशी… माने मोक्ष … श्री आदिनाथ परमात्मा की दिव्या उर्जा प्राप्त करके अपने सारे कर्मों का क्षय करके मोक्षरूप उत्तम राजमार्ग पर क्या चलना चाहतें है आप ??? दादा आदिनाथ परमात्मा की असीम कृपा अपने जीवन में प्राप्त करके दादा के सानिध्य में रहकर दादा के सामीप्य में जानेका खास स्वर्णिम मौका है
श्री भक्तामर हीलिंग कोर्स इस के माध्यम से हम सब साथ में जुड़कर प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ दादा की एनर्जी को जरुर प्राप्त करेंगे ही |
4 . संपूर्ण जैन विधि के अनुसार हीलिंग की पद्धति है जिसमे हम सेल्फ हीलिंग , श्री भक्तामर ध्यान , चक्र मैडिटेशन का गहन अभ्यास आपको सिखाते है |
सेल्फ हीलिंग सीखकर अपनी खुद की प्रतिभा का विकास एवं उन्नत आत्मविश्वास का मजबूत विकास आप कर सकतें है |
श्री भक्तामर ध्यान की पद्दति सिखकर हर एक काम में अचूक सफलता पायें |
चक्र मैडिटेशन से आभामंडल एवं चक्रों का सकारात्मक विकास करिए |
5. संकल्प क्या होता है ? क्यों करना चाहिए ? कैसे करना चाहिए , मन की तरंगों से कैसे शारीरक – मानसिक – आध्यात्मिक – आर्थिक जैसे जीवन के हर एक पहलू में आनेवाली तकलीफों से मुक्ति |
उत्तम स्वस्थ्य की प्राप्ति , पढाई में उत्तम सफलता एवं तीव्र मेघा शक्ति , जीवन में अखूट पुन्यलक्ष्मी की प्राप्ति एवं आर्थिक उन्नति , जीवन के हर एक शुभ संकल्पों में शीघ्र सफलता | विविध संकल्पों के बारे में विस्तृत माहिती |
- श्री भक्तामर महास्तोत्र जो हमारे जैनों का ब्रहमास्त्र है हर कार्य की शुभ सिद्धि के लिए इस महास्तोत्र की दिव्य उर्जा का विशेष अनुभव इस कोर्स के माध्यम से करें |
इस कोर्स की खास विशेषताहै की आपको 11 वें दिनपर चक्रों का खास लाइव हीलिंग मिलेगा एवं 12 वें दिनपर आपको श्री आदिनाथ दादा की पावन दिव्य उर्जा का अपने अन्दर सुचारू रूप से संचारकरने का लाभ मिलेगा |
यह दोनों विशिष्ट हीलिंग की प्रक्रियाए है जो आपको सही मायने में
हीलर बनाती है |
साथ में कुछ पावरफुल टॉपिक्स:
- मंत्र क्या है ?
- मंत्र सिद्धि क्या है ?
- वर्णमातृका ( स्वर + व्यंजन )
- नज़रबंधी को कैसे दूर करें ?
- रोग निवारण की विधि
- वास्तु संबंधी टिप्स
- श्री भक्तामर की हर एक गाथा का अचिन्त्य प्रभाव
- संकल्प सिद्धि क्या है – विशेष चमत्कारिक संकल्प का लिस्ट
- प्रैक्टिकल वर्कशीट
इस कोर्स को जॉइन करने के लिए आपको 900 रुपये की राशि जमा करनी है |
हमनें यह कोर्स सभी के लिए मंगलकारी एवं सभी की उन्नत जीवनपथ पर यात्रा निर्विघ्न आगे बढे इसी उद्देश्य से बनाया है , आप सभी के कल्याण की मंगलकारी भावना के साथ आप सब से सहकार की अपेक्षा है |
: जैन अनुष्ठान :
श्री निकुंज गुरूजी : (+91) 8000456677
*** श्री भक्तामर हीलिंग के साथ जीवन में मोक्ष प्राप्ति की ओर यात्रा शुभ हो | ***
*** शुभम भवतु ***