आग्नेय का दरवाजा: आग्नेय कोण का दरवाजे के बार में कहा जाता है कि यह बीमारी और गृहकलह पैदा करने वाला होता है।
दिनभर सूर्य का ताप घर में बने रहने से घर के भीतर का ऑक्सिजन लेवल कम हो जाता है।
यह दरवाजा सभी तरह की प्रगति को रोक देता है। लगातर आर्थिक हानी होती रहती है।
वास्तुअनुसार घर का मुख्यद्वार:
घर का एंट्रेस यानी की घर का मुख्य द्वार परिवार की समृद्धि का सूचक माना जाता है.
इसीलिए हमेशा घर के मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार बनाना चाहिए. घर में सुख-शांति, समृद्धि, धन-वैभव व ख़ुशहाली के लिए मुख्यद्वार बनवाते समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन करने से घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सकता है.
- घर का मुख्य प्रवेश द्वार अन्य दरवाज़ों से ऊंचा और बड़ा होना चाहिए इसका आकार हमेशा घर के भीतर बने अन्य दरवाज़ों की तुलना में बड़ा होना चाहिए.
- वास्तु अनुसार पूर्व अथवा उत्तर दिशा में मुख्यद्वार बनवाना बहुत ही शुभ होता है.
- नैऋत्य और वायव्य कोण में घर का मुख्य द्वार नहीं बनवाना चाहिए.
- यदि घर का मुख्यद्वार घर के अन्य दरवाज़ों से छोटा है और उसे बदलना संभव न हो, तो उसके आसपास एक ऐसी फोकस लाइट लगाएं, जिसका प्रकाश मुख्यद्वार और वहां से प्रवेश करने वालों के चेहरों पर पड़े.
- मुख्य प्रवेश द्वार अत्यंत सुशोभित होना चाहिए. इससे प्रतिष्ठा बढ़ती है मुख्य द्वार पर तोरण बांधने से देवी-देवता सारे कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पन्न कराकर मंगल प्रदान करते हैं.
- घर के दरवाज़े जहां तक हो अंदर की ओर ही खुलने चाहिए. बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे कार्य में बाधा व धीरे-धीरे धनहानि कराते है.
- दरवाजे स्वतः खुलने या बन्द होने वाले नहीं होना चाहिए इसके अलावा खोलते या बंद करते समय उनसे किसी भी प्रकार की आवाज़ नहीं होनी चाहिए.
- वास्तुअनुसार घर का मुख्यद्वार हमेशा दो पल्ले का होना शुभ माना जाता है.
- वास्तुअनुसार घर के प्रवेशद्वार के आसपास किसी तरह का कोई अवरोध होना शुभ नहीं माना जाता है जैसे- बिजली के खंभे, कोई कांटेदार पौधा आदि.
- मुख्यद्वार के सामने डस्टबिन या कचरे का डिब्बा न रखें हमेशा प्रवेशद्वार के आसपास सफ़ाई का पूरा ध्यान रखें.
- मुख्यद्वार के पास तुलसी का पौधा रखने से वास्तु दोष दूर होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती.
- वास्तु अनुसार घर के मुख्य दरवाजे के सामने उपर जाने के लिए सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए।
- घर का मुख्य द्वार एक की बजाय दो पल्ले वाला अधिक शुभ माना जाता है
- मुख्य द्वार त्रिकोणाकार, गोलाकार, वर्गाकार या बहुभुज की आकृति वाला नहीं बनाना चाहिए।
- वास्तुअनुसार घर का मुख्य द्वार लकड़ी का बना हो तो बेहद शुभ माना जाता है। दरवाजा बनवाते समय ध्यान रखे कि उसमें धातु का प्रयोग कम से कम हो इससे घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है साथ ही मुख्य द्वार का आकार आयताकार रखना चाहिए.