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संगीत वागे रोग भागे

संगीत वागे रोग भागे

संपूर्ण विश्व में आज संगीत को एक बहुत प्रभावशाली व् उपयोगी साधन के रूप में स्वीकृत किया गया है |

स्वस्थ व् शांत, मधुर, रोग रहित, चिंता रहित, जीवन जीने के लिए एवं ह्रदय रोग, लकवा, गठिया,  सिरदर्द आदि सब बिमारियोसे बचने के लिए संगीत सर्व उत्क्रिष्ट साधन है |

भारतीय संगीत चिकित्सा पध्धति में भी बहुत सारे प्रयोग हुए है और निचे दिए गए रागो का प्रयोग करके कुछ व्याधिओ को दूर भी किया जा सकता है ऐसा साबित भी किया है |

रागों को यदि ईश्वर की स्तुति में मिला दिया जाए तो इसका विशेष लाभ होता है । इससे आत्मिक शांति तो मिलती ही है साथ ही ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है । संगीत के सात स्वरों द्वारा ईश्वर की अराधना होती है । ‘सा’ द्वारा ‘ब्रह्मा’, ‘रे’ द्वारा ‘अग्नि’, ‘गा’ द्वारा ‘रूद्र’, ‘मा’ द्वारा ‘विष्णु’, ‘पा’ द्वारा ‘नारद’, ‘धा’ द्वारा ‘गणेश’ और ‘नि’ द्वारा सूर्य’ की उपासना की जाती है ।

संगीत से रोग भगाऐ

राग पुरिया – अनिंद्रा दूर करने के लिये, राग ‘वसंत’ और राग ‘सुरख’ नपुसंकता को दूर भगाते है । ‘आसावारी’, ‘भैरवी’ व ‘सुहानी’ राग सुनने से मस्तिष्क संबंधी रोगों व सिरदर्द से छुटकारा पाया जा सकता है ।

शास्त्रीय -संगीत आधारित फ़िल्मी गीतों से स्वास्थ्य लाभ

आजकल संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा हैं | चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोज़मर्रा की होने वाली बहुत सी बीमारियो से निजात पायी जा सकती हैं | जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं | यदि किसी जातक को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग,सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं | यहाँ इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगो व उनसे राहत देने वाले रागों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया गया है | जिन शास्त्रीय रागों का उल्लेख किया किया गया है उन रागो मे कोई भी गीत,संगीत,भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं | यहाँ उनसे संबन्धित फिल्मी गीतो के उदाहरण देने का प्रयास भी किया गया है |

1) हृदय रोग
इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है | इनसे संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं- तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल), राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे ), झनक झनक तोरी बाजे पायलिया ( मेरे हुज़ूर ), बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन), जादूगर सइयां छोड़ मोरी (फाल्गुन), ओ दुनिया के रखवाले (बैजू बावरा ), मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम )

2) अनिद्रा –
यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है | इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है, जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)रात भर उनकी याद आती रही(गमन), 2)नाचे मन मोरा (कोहिनूर), 3)मीठे बोल बोले बोले पायलिया(सितारा), 4)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा), 5)ऋतु बसंत आई पवन(झनक झनक पायल बाजे), 6)सावरे सावरे(अंनुराधा), 7)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम), छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट ), झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ), कुहू कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )

3) एसिडिटी –
इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत), 2)आयो कहाँ से घनश्याम(बुड्ढा मिल गया), 3)छूकर मेरे मन को (याराना), 4)कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया (ठुमरी-अनुराधा), 5)तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये ( सेहरा ), रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता ), हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन ), तुम कमसिन हो नादां हो (आई मिलन की बेला)

4) कमजोरी –
यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है | इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता है | इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है | इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं मनमोहना बड़े झूठे(सीमा), 2)बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद), 3)मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके (उड़न खटोला ), 4)साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं (चन्द्रगुप्त ), 5)ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल दिया दर्द लिया ), तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद )

5) याददाश्त –
जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं, ना किसी की आँख का नूर हूँ(लालकिला), 2) मेरे नैना(महबूबा) ,  3) दिल के झरोखे मे तुझको(ब्रह्मचारी), 4)ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम(संगम ), 5)जीता था जिसके (दिलवाले), 6)जाने कहाँ गए वो दिन(मेरा नाम जोकर )

6) खून की कमी –

इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता है | स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है | ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं | 1)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म), 2)नदिया किनारे (अभिमान), 3)खाली हाथ शाम आई है (इजाजत), 4)तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी), 5)मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की), 6)मोरे सैयाजी उतरेंगे पार(उड़न खटोला),

7) मनोरोग अथवा डिप्रेसन –
इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है | इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं | 1)तुझे देने को मेरे पास कुछ नहीं(कुदरत नई), 2)तेरे प्यार मे दिलदार(मेरे महबूब), 3)पिया बावरी(खूबसूरत पुरानी), 4)दिल जो ना कह सका (भीगी रात), तुम तो प्यार हो(सेहरा), मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ), मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये(आम्रपाली), सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)

8) रक्तचाप –

ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है | शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है | ऊंचे रक्तचाप मे “चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी), ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ), चलो दिलदार चलो (पाकीजा ), नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत व निम्न रक्तचाप मे “ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न॰ 909), बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं ), जहां डाल डाल पर ( सिकंदरे आजम ), पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा ) |

9) अस्थमा –
इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है | राग मालकोस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं | जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग), तू है मेरा प्रेम देवता(कल्पना), एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर), मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजू बावरा ), आधा है चंद्रमा ( नवरंग )

10) सिरदर्द –

इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं – मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजू बावरा), राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक), पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई(तेरी सूरत मेरी आँखें), सोलह बरस की बाली उमर को सलाम (एक दूजे के लिए )आदि:

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