नवकार जाप साधना
लक्ष्य, गोल, हेतु, संकल्प बहुत प्रभावशाली महामंत्र है छोटे मोटे हेतु के लिए उपयोग करने से अच्छा कोई जीवनभर या तो भवोभव कम लगाने वाला लक्ष्य रखके साधना शरु करे | यहाँ में एक सभी के लिए उपयोगी और जिसमे सबकुछ आ जाता है ऐसा एक संकल्प लिखता हु जो आपको लगे की ओके है तो यही संकल्प के साथ साधना शुरू करे
युनिवर्सल आत्मीय संकल्प
“ में शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक स्वस्थ हु, शक्तिशाली हु, समृध्ध हु और मुझे तीसरे भव में मोक्ष मिल गया है ”
रोज जाप शुरू करने से पहले ३ बार ये संकल्प बोले और फिर ये भी ३ बार बोले
“ मेरी ये आराधना की उर्जा मुझे और मेरी संकल्प सिध्धि को मिल रही है ”
रोज के जाप पूर्ण होते ही फिर से ३ बार ये संकल्प बोले और फिर ये भी ३ बार बोले
“ मेरी ये आराधना की उर्जा मुझे और मेरी संकल्प सिध्धि को मिल गई है ”
एक दिशा पूर्व या उत्तर की और मुख करके, एक समय, एक आसन, एक माला (या अपने हाथ से), एक ही जाप की संख्या प्रभु या नवकार महामंत्र के पट या यंत्र के सामने, अनुकूल हो तो सुगंधी धुप और दिया जलाके पंच परमेष्ठी की गुण उर्जा को भाव से नमस्कार करते करते जाप शुरू करे
सामायिक में जाप करना है तो सामायिक लेने से पहले ऊपर बताई गई प्रक्रिया से संकल्प बोले और उर्जा का कनेक्शन करे |
नवकार का जाप करते समय पंच परमेष्ठी की गुण उर्जा को आप नमस्कार करते है और उसके प्रभाव से ही आप उर्जावान होने के साथ साथ आपका संकल्प सिध्ध हो रहा है इसी भावधारा को एक नवकार के बाद दूसरा नवकार बोले तब और बढ़ाते जाना है धीरे धीरे ये नमस्कार की भावधारा को अपने अपने रोम रोम तक ले जनि है और उसकी उर्जा का अनुभव भी रोम रोम से करना है
नवकार का जाप करने के स्टेज से जाप हो गये या हो जाते है वो स्टेज तक पहुचना है
पंच परमेष्ठी के गुणों और उसके प्रभाव का चिंतन मनन करना है अभ्यास भी करना है और भावधारा से अपने आत्मा में उसको जागृत भी करना है
नवकार का जाप करते करते अपने आत्मा को उत्कृष्ट शुभ भाव शुभ ध्यान में लीन करके अपनी आत्मा को क्षपक श्रेणी में चढ़ाके सारे घाती अघाती कर्मो का क्षय करके केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई है और अब आयुष्य कर्म पूर्ण होने पर मोक्ष मिल गया है यही उत्तम भाव का अपने रोम रोम में अनुभव करके जाप करना है
आप कम से कम ३ नवकार मंत्र से ये साधना शुरू करे अगर आपके पास ज्यादा समय है तो ३ के गुणांक में जाप करे जैसे 6, 9, 12, 15,….
जब आपको लगे की अब मेरा जाप बराबर शुरू हो गया है मेरी भाव धारा भी बरोबर है और अब मुझे उसको और बढ़ाना है तो फिर…
आप रोज के जाप कम से कम 6 नवकार मंत्र से जाप शुरू करे और आपके पास ज्यादा समय है तो ६ के गुणांक में जाप करे जैसे की 12, 18, 24, 36,….
अब आपको लगता है की प्रभाव बढ़ गया है मुझे रोम रोम में उसकी प्रतीति हो रही है मेरे जाप अब ईश्वरीय आशीर्वाद पाने की कक्षा तक आ गए है तो फिर
आप रोज के जाप कम से कम 9 नवकार मंत्र से जाप शुरू करे और आपके पास ज्यादा समय है तो 9 के गुणांक में जाप करे जैसे की 18, 27, 36, 45, 54,….
ये 3, 6 और 9 के गुणांक का मतलब ये है की आप अगर ३ वाले स्टेज में है तो ३ बार नवकार मंत्र गिने फिर थोडा थोभे और दुबारा ३ नवकार गीने अगर आप माला के साथ करते है हर तीन मणके के बाद थोडा थोभे या आप श्वास लेते समय एक नवकार गीने श्वास अंदर रोकते समय दूसरा नवकार गिने और श्वास छोड़ते समय तीसरा नवकार गिने अब श्वास को बहार रोकते हुये थोड़ी देर थोभे, 3 का एक सेट पूरा हुआ और फिर से भाव धरा को बढ़ाते हुए दुसरे राउंड में फिर श्वास लेते हुए आगे बताया है वैसे नवकार मंत्र गीने और जाप चालू रखे
अब ६ वाले स्टेज में ऐसे ही नवकार गिनना है मगर ३ के दो सेट पूरा होने पर ही काउंट करना है और ९ वाले स्टेज में ३ सेट पूरा होने पर एक काउंट गिनना है
माला करते समय माला के दाने अंदर की तरफ घुमने चाहिए और हमें ये भाव रखना है की पंच परमेष्ठी की गुण उर्जा मेरे भीतर आ रही है और मुझे मेरी आत्मा के साथ उर्जावान बना रही है
हाथ से जाप करते समय भी हमें यही सोचना है एक एक वेढे के ऊपर नवकार या उनके पद गिनते समय उसकी गुण उर्जा मेरे अंदर प्रवेश कर रही है और मुझे मेरी आत्मा के साथ उर्जावान बना रही है
ये जाप के दरमियान अपना जीवन पंच परमेष्ठी की गुण उर्जा मिले ऐसा जिये और हर दिन हर पल अपने आप को उसकी उर्जा से भरपूर पाए जो भी कर्म करे निष्काम भाव से करे जैसे कर्म पूर्ण करने के लिए ही मुझे ये भव मिला है… पूरा दिन अगर ये भाव में रहते है तो बहुत ही उत्कृष्ट लेवल है नहीं तो फिर दिन में थोड़ी देर तक ये भाव में रहने से वो धीरे धीरे बढ़ता जायेगा