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भक्तामर स्त्रोत की महिमा

भक्तामर स्त्रोत की महिमा

आपको संस्कृत भक्तामर स्तोत्र के 48 श्लोक बताने जा रहे है. इनका अगर आप सच्चे मन से ,भाव से पाठ करेंगे तो अपने जीवन में स्वयं इसके फायदे देखेंगे।

काव्य ~26
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सर्व शारीरिक पीड़ा निवारक, सिर दर्द एवं प्रसूति पीडा नाशक काव्य

तुभ्यं नम स्त्रिभुवनार्ति-हाराय नाथ,
तुभ्यं नमः क्षिति-तलामल-भूषणाय ।
तुभ्यं नमस्त्रिजगतः परमेश्वराय,
तुभ्यं नमो जिन! भवोदधि-शोषणाय ॥26॥

भावार्थ:
हे स्वामिन्! तीनों लोकों के दुःख को हरने वाले आपको नमस्कार हो, प्रथ्वीतल के निर्मल आभुषण स्वरुप आपको नमस्कार हो, तीनों जगत् के परमेश्वर आपको नमस्कार हो और संसार समुन्द्र को सुखा देने वाले आपको नमस्कार हो|

भक्तामर स्तोत्र श्लोक 26 : इस मन्त्र व यंत्र के प्रभाव से आराधक के सार शारीरिके कष्ट, दर्द , प्रसूति पीड़ा दूर होती है।