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मणिपुर चक्र का उर्जा संतुलन

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मणिपुर चक्र का उर्जा संतुलन

मणिपुर या मणिपुरक चक्र चयापचय और पाचन तंत्र से संबंधित है। ये चक्र नाभि स्थान पर होता है। ये पाचन में, शरीर के लिए खाद्य पदार्थों को ऊर्जा में रूपांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

मणिपुर चक्र हमारे पेंक्रियाज़, जठर, यकृत, नानी और मोटी आंत को उर्जा से संभालता है |

एसिडिटी

ये कोई रोग नहीं है लेकिन हमारे शरीर की भूख और पाचन की शारिरिक और मानसिक बायोलॉजिकल घडी (सायकल) का तालमेल बिगड़ने से होती है | ये कुछ दवा की साइड इफ़ेक्ट भी हो सकती है | मुख्यत्वे सभी थेरेपी में उसके इलाज में सिर्फ उसकी इफ़ेक्ट दूर होती है

इसका एक ही उपाय है अपनी दोनों सायकल को फिर से सेट करना और कोई ऐसी दवा खा रहे है तो वो बांध करना या उसके कुदरती उपचार करना, उसके लिए कोई और एलोपेथिक दवा नहीं लेनी चाहिये अगर बहुत ज्यादा प्रॉब्लम न हो तो.

रात को सोने से पहले दुसरे दिन का खाने पिने का टाइम टेबल अपने मन में ३ बार बोलकर सेट करना है और दुसरे दिन ठीक उसी समय पे खाना और पीना है ऐसा आपको 21 दिन तक करना है

विशेष जानकारी के लिए हमारा संपर्क करे |

कब्ज

एसिडिटी की तरह ये भी कोई रोग नहीं है लेकिन एक स्थिति है जो ऊपर बताया उसी तरह अगर शरीर में सभी अंग स्वस्थ है तो आप उसे प्रोग्रामिंग करके कर सकते है आप जैसा सोचोगे वैसा ही इसमे होगा क्यूंकि ये पूरी प्रक्रिया अपने अवचेतन मन के कंट्रोल में है

अगर आप जरुरत से कम खाना खाते है तो हो सकता है की आपको एक दिन छोड़कर मल विसर्जन हो | जैसे हम २ दिन का उपवास करते है तब भी मल विसर्जन नहीं होता है

मणिपुर चक्र के साथ आपका मूलाधार चक्र का संतुलन होना इसमे जरुरी है

जैसे ही रात को मलविसर्जन की प्रक्रिया में जैसा सोचकर सोने से दुसरे दिन ठीक उसी समय पे ये प्रक्रिया हो जाती है

हो सकता है की आप की कोई दवा की भी ये साइड इफ़ेक्ट हो तो वो भी चेक करना है

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एसिडिटी होगी तो अपचा भी होगा और वो जरुरत से ज्यादा खाने से या फिर भूख न लगी हो फिर भी खाना पड़े तो हो सकता है इसमे आप सोडा का प्रयोग कर सकते हो अगर ज्यादा खाना खा लिया है तो इसके अलावा अय्र्वेदिक उपचार थोड़े समय साथ में करने के साथ साथ ये फिर से प्रोग्रामिंग करना बहुत जरुरी है

आप अपनी जरुरत के हिसाब से ये प्रोग्राम बदल सकते हो लेकिनुसमे ३० मिनिट से कम कासमी नहीं होना चाहिए

ये प्रोग्रामिंग हमें हमारी सायकल को बरोबर करने के लिए ही करना है नहीं की उसकी आदत डालनी है

मणिपुर चक्र ही एक चक्र है जो अपनी जगह से चारो दिशा में खिसक सकता है और उसको केंद्र में रखना बहुत जरुरी है | सही आसन और खानपान से  ही वो केंद्र में रहता है

पीले रंग का मणिपुर चक्र और लाल रंग का मूलाधार चक्र ये दो नो यहाँ पे उपयोग में लेना है

बीज मंत्र रं और लं दो नो का संयोजन यहाँ करना होता है