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बीज मंत्रो की समजुती

 बीज मंत्रों को सभी मन्त्रों के प्राण के रूप में जाना जा सकता है जिनके प्रयोग से मन्त्रों में प्रबलता और अधिक हो जाती है |
बीज मंत्र कुछ इस प्रकार होते है :- ॐ, क्रीं, श्रीं, ह्रौं, ह्रीं, ऐं, गं, फ्रौं, दं, भ्रं, धूं, हलीं, त्रीं, क्ष्रौं, धं, हं, रां, यं, क्षं, तं ,  ये दिखने में छोटे से बीज मंत्र अपने अन्दर बहुत से शब्दों को समाये हुए है |
उपरोत्क सभी बीज मंत्र अत्यंत कल्याणकारी है जो अलग-अलग देवी-देवताओं के प्रतिनिधत्व करते है |
बीज मंत्र जप के लाभ :-
बीज मंत्रों के जप से देवी-देवता अति शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त का उद्धार करते है | बीज मंत्रों का उच्चारण आपके आस-पास एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है |
जीवन में आने वाले घोर से घोर संकट भी बीज मंत्रों के उच्चारण से दूर हो जाते है | किसी भी प्रकार के असाध्य रोग की गिरफ्त में आने पर , आर्थिक संकट आने पर, इनके अतिरिक्त समस्या कोई भी हो, बीज मंत्रों के जप से लाभ अवश्य प्राप्त होता है |
 बीज मंत्रों के नियमित जप से सभी पापों से मुक्ति मिलती है .
| ऐसा व्यक्ति सम्पूर्ण जीवन मृत्यु के भय से मुक्त होकर जीता है व अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है |
बीज मंत्र /Beej Mantra :-
देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र :-
देवी लक्ष्मी को स्वाभाव से चंचल माना गया है इसलिए वे अधिक समय के लिए एक स्थान पर नहीं रूकती | घर में धन-सम्पति की वृद्धि हेतु माँ लक्ष्मी के इस बीज मंत्र द्वारा आराधना से लाभ अवश्य प्राप्त होता है | देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र है : ” श्रीं ”  |
देवी सरस्वती का बीज मंत्र : –
माँ सरस्वती विद्या को देने वाली देवी है जिनका बीज मंत्र ” ऐं ” है | परीक्षा में सफलता के लिए व हर प्रकार के बौद्धिक कार्यों में सफलता हेतु माँ सरस्वती के इस बीज मंत्र/  का जप प्रभावी सिद्ध होता है |
ऊर्जा अविनाशिता के नियमानुसार ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन्‌ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है।
अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि एक ऊर्जा के रूप में ब्रह्मांड में प्रेषित होकर जब उसी प्रकार की ऊर्जा से संयोग करती है तब हमें उस ऊर्जा में छुपी शक्ति का आभास होने लगता है।
ज्योतिषीय संदर्भ में यह निर्विवाद सत्य है कि इस धरा पर रहने वाले सभी प्राणियों पर ग्रहों का अवश्य प्रभाव पड़ता है..चंद्रमा मन का कारक ग्रह है, और यह पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण खगोल में अपनी स्थिति के अनुसार मानव मन को अत्यधिक प्रभावित करता है।
अतः इसके अनुसार जो मन का त्राण (दुःख) हरे उसे मंत्र कहते हैं.. मंत्रों में प्रयुक्त स्वर, व्यंजन, नाद व बिंदु देवताओं या शक्ति के विभिन्न रूप एवं गुणों को प्रदर्शित करते हैं.. मंत्राक्षरों, नाद, बिंदुओं में दैवीय शक्ति छुपी रहती है..
मंत्र उच्चारण से ध्वनि उत्पन्न होती है, उत्पन्न ध्वनि का मंत्र के साथ विशेष प्रभाव होता है..
जिस प्रकार किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु के ज्ञानर्थ कुछ संकेत प्रयुक्त किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्रों से संबंधित देवी-देवताओं को संकेत द्वारा संबंधित किया जाता है, इसे बीज कहते हैं..
विभिन्न बीज मंत्र इस प्रकार हैं :
ॐ- परमपिता परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है.
ह्रीं- माया बीज,
श्रीं- लक्ष्मी बीज,
क्रीं- काली बीज,
ऐं- सरस्वती बीज,
बीजमंत्र लाभ:
कं – मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त- विकृति में..
ह्रीं – मधुमेह हृदय की धड़कन में….
घं – स्वप्नदोष व प्रदररोग में ….
भं – बुखार दूर करने के लिए…
क्लीं – पागलपन में …
सं – बवासीर मिटाने के लिए…..
वं- भूख प्यास रोकने के लिए…
लं – थकान दूर करने के लिए …
बं – वायु रोग और जोदो के दर्द के लिये ….