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Bhaktamar Stotra – 2

यः संस्तुतः सकल- वाङ्मय तत्त्वबोधा दुद्भूत- बुद्धि- पटुभिः सुरलोक- नाथैः
स्तोत्रैर्जगत्त्रितय- चित्त- हरै- रुदारैः
स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम्

🔆 यः संस्तुतः जिनका स्तवन किया गया
था

🔆 सकल माने संपूर्ण

🔆 वाङ्मय माने जिनवाणी के

🔆 तत्व माने तत्व को

🔆 बोधात् जानने से उद्भुत माने उत्पन्न हुई है बुद्धि की

🔆 पटुभिः माने चतुराई जिनमें। कौन? ऐसे

🔆 सुर माने देव

🔆 लोक के

🔆 नाथों के द्वारा। एक एक शब्द देखें ध्यान से। जिनका स्तवन किया गया था संपूर्ण द्वादशांग जिनवाणी के तत्व को जानने से उत्पन्न हुई है बुद्धि की

🔆 पटुभिः माने चतुराई जिनमें, ऐसे कौन? स्वर्ग लोक के नाथ माने इन्द्रों के द्वारा अर्थात इंद्र कैसे होते हैं? संपूर्ण जिनवाणी के ज्ञाता होते हैं और जिन इन्द्रों ने संपूर्ण जिनवाणी के तत्व को जानकर बुद्धि मे चतुराई प्राप्त की थी, ऐसे इन्द्रों के द्वारा जिन का स्तवन किया गया था, किसके द्वारा?

🔆स्तोत्रै स्तोत्रों से, कैसे स्तोत्र थे?

🔆 जगत्त्रितय
जगत माने संसार/लोक और त्रितय माने तीनों, तीनों लोकों के जीवों के चित्त को हरने वाले स्तोत्रों के द्वारा। इंद्रों ने भगवान का स्तवन किया स्तोत्रों से, स्तोत्र कैसे थे? के तीनों लोकों के जीवो के चित्त को हरने वाले थे ऐसे स्तोत्र। इंद्र के द्वारा स्तवन की हम क्या बात करें और

🔆 उदारै उत्कृष्ट/श्रेष्ठ उत्कृष्ट माने श्रेष्ठ ऐसे स्तोत्रों से जिनका स्तवन किया था, किसने? इंद्रों ने।

🔆 तं माने उन

🔆 प्रथमं  माने प्रथम

🔆 जिनेन्द्रम् माने प्रथम जिनेंद्र तीर्थंकर भगवान आदिनाथ प्रभु कl

🔆 किल प्प्रणाम
िश्चय से

🔆 अहमपि* माने में भी स्तोष्ये स्तवन करूंगा। पहले काव्य में मानतुङ्ग स्वामी ने कहा था उनके दोनों चरण कमलों को अच्छी प्रकार प्रणाम

🔆प्रणाम करके क्या करने जा रहे हैं? स्तवन करने जा रहे हैं किनका
भगवान ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर भगवान का। कैसे हैं प्रथम तीर्थंकर? जिनका स्तवन इंद्रों ने किया था किन के द्वारा, तीनों लोकों के चित्र को हरने वाले और श्रेष्ठ स्तोत्र के द्वारा। इंद्र कैसा था? समस्त जिनवाणी को जिसने जान लिया था और जिसकी बुद्धि में बड़ी चतुराई उत्पन्न हो गई थी। ऐसे इंद्रों के द्वारा जिनका स्तवन किया गया था। उन प्रथम जिनेंद्र तीर्थंकर भगवान आदिनाथ प्रभु का निश्चय से में भी स्तवन करूंगा।

🔆 इस काव्य में मानतुङ्ग स्वामी क्या बता रहे हैं कि मैं इस स्तोत्र में संकल्प कर रहा हूं। मैं क्या करने जा रहा हूं? कि जिन भगवान ऋषभदेव का इंद्रों ने स्तवन किया था, उन भगवान ऋषभदेव का मैं भी स्तवन करूंगा। भक्तामर स्तोत्र आपको हमेशा पढ़ना है, पढ़ना है तो अर्थ सहित पढ़ने का आनंद हम क्यूँ ना लें।

जिनका स्तवन किया गया था सुरलोक- नाथैः स्वर्ग लोक के नाथ माने इंद्रों के द्वारा, इंद्र कैसे हैं?

🔆 संपूर्ण जिनवाणी के तत्व को जानने से, जिनमें बुद्धि की चतुराई उत्पन्न हुई है। मतलब द्वादशांग को जानने से जो बड़े चतुर हैं, ऐसे इंद्रों के द्वारा जिन का स्तवन किया गया था,
किन के द्वारा? तीनों लोकों के chiत्त को हरने वाले और

🔆 उदारैः माने उत्कृष्ट स्तोत्रों के द्वारा, देवेंद्रो ने आपका स्तवन किया था। उन प्रथम जिनेंद्र भगवान आदिनाथ ऋषभदेव का निश्चय से मैं भी स्तवन करूंगा। मानतुङ्ग स्वामी कह रहे हैं उन भगवान ऋषभदेव का स्तवन इंद्रों ने किया था। इंद्रों मे बड़ा ज्ञान था, द्वादशांग के ज्ञान थे उन्होंने स्तवन किया था। मुझ में उतना ज्ञान नहीं फिर भी मैं उन प्रथम भगवान आदिनाथ का स्तवन करूंगा।

✳️ शब्दार्थ✳️

🔆 सकल वाड्मय = समस्त द्वादशांग

🔆 तत्वबोधात् = तत्व ज्ञान से

🔆 उद्भुत = उत्पन्न हुई

🔆 बुद्धिपटुभिः = बुद्धि के द्वारा चतुर

🔆 उदारैः = उत्कृष्ट

🔆 यः संस्तुतः = जिनका स्तवन किया गया था

🔆 किल = निश्चय

🔆 अहमपि = मैं भी

✳️ Question & Answer✳️

1️⃣ क्या इन्द्र द्वादशांग का ज्ञाता होता है?

🔆आचार्य मानतुङ्ग स्वामी कह तो रहे है सकल- वाङ्मय तत्त्वबोधात् संपूर्ण जिनवाणी का ज्ञान होने से, जिनमें बुद्धि की चतुराई उत्पन्न हुई है, सौधर्म इन्द्र द्वादशांग का पाठी होता है इसमें कोई शक नहीं।

2️⃣ इन्द्र कितने होते है ?

🔆 आचार्यों ने इन्द्रों की गिनती 100 बताई है। भवनवासी देवों के 40, व्यंतर देवों के 32, वैमानिक देवों के 24, सूर्य और चंद्र और मनुष्यों में चक्रवर्ती और पशुओं में सिंह इस तरह कुल इन्द्रों की गिनती 100 आचार्यों ने बताई है। सभी इंद्र जो है समवशरण में विराजमान रहते हैं और भगवान का स्तवन निरंतर किया करतेदेवताओं की कौन सी भाषा होती है? *

🔆 विद्वानों ने कहा है देववाणी इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि शायद वैसे तो मालूम नहीं शायद देवता संस्कृत में बोलते हो। इसीलिए तो संस्कृत को देववाणी कहा गया। ऐसा लगता है संस्कृत में देव बोलते होंगे।

✳️ पहले काव्य में आचार्य मानतुङ्ग महाराज ने बताय   आपके चरण कमल कैसे हैं?

उन चरण कमलों की वंदना कौन करते हैं?

🔆 इंद्र करते हैं बड़े-बड़े स्तोत्रों के द्वारा। लेकिन मैं भी है भगवान आपका स्तवन करना चाहता हूं। इसलिए मैं संकल्प कर रहा हूं कि मैं ऐसे उन भगवान आदिनाथ का स्तवन करूंगा। इस तरह भगवान आदिनाथ का यह स्तवन आचार्य मानतुङ्ग स्वामी का छठी शताब्दी या 10 वीं शताब्दी का जो आपके सामने हम अर्थ बता रहे हैं, कितना प्राचीन कितना महत्वपूर्ण है!