श्री भक्तामर स्तोत्र मूल मंत्र की जाप विधी (भक्तामर हीलिंग साधना २०२१)
शुध्द वस्त्र और भक्तिमय मन से ये शुरू करे |
- सर्वप्रथम मन से सरस्वतीमाता को नमस्कार करके निचे लिखा मंत्र ३ बार बोले |
“ॐ ह्रीं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती मम जिह्वाग्रे वासं कुरु कुरु स्वाहा ||”
- अपने सामने शंत्रुजय तीर्थ का फोटो/आदिनाथ भगवान की फोटो/पंच परमेष्ठी का पट/भक्तामर का पट – जो भी हो उसको रखे और सुगंधी धुप और दीपक जलाये |
रोज ये विधि करने के लिए अपने गृह मंदिर में भी स्थापन कर सकते है |
मानसिक विधि के लिए अपने मन की आँखों के सामने ये सब कुछ है ऐसी भाववाही कल्पना करे |
- उत्तम भावधारा से एक नमस्कार महामंत्र गीने |
- विशेष: अब एक बार “नमुत्थुणं सूत्र” से भगवान की स्तुति उसी भाव से करें जैसे आप स्वयं “इन्द्र” हों.
- फिर निचे लिखा मंत्र 7 बार बोले |
श्री तीर्थंकर गणधर प्रसादात् एष: योग: फलतु सद्गुरु प्रसादात् एष: योग: फलतु ||
- अब शत्रुंजय तीर्थ के मुलनायक आदिनाथ भगवान या अन्य तीर्थ के आदिनाथ भगवान की छवि (जो तस्वीर आपने लगायी हो) को नमस्कार करे |
- “कदर्पी यक्ष” को नमसकर करे |
- विमलेश्वर यक्ष और चक्रेश्वरी देवी को नमस्कार करें |
- माणिभद्र वीर को नमस्कार करते हुये, अपने सहायक देवों को भी उपस्थित होने के लिए प्रार्थना करें – “अब मैं पांच परमेष्ठी की भक्ति करने जा रहा हूँ, आप भी इसमें शामिल होवें.”
- ये कहकर नीचे लिखे भक्तामर स्तोत्र के मूल मंत्र का जाप 32 बार रोज सवेरे उठते ही कर लें ताकि कभी चूक ना हो. यदि भक्तामर स्तोत्र आता हो तो वो भी पढ़ें.
“ॐ णमो अरिहंताणं, सिद्धाणं, सूरीणं, उवझ्झायाणं, साहूणं
मम ऋद्धिं वृद्धिं समीहितम् कुरु कुरु स्वाहा ||”
कुल 15 मिनिट की विधि है |
जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति होगी वो पूरी श्रध्धा के साथ सिध्ध की हुयी बात है
(“मैं तो उठता ही देरी से हूँ, सोता ही देरी से हूँ,”
वो अपने में ही “मस्त” रहें – उनके लिए ये विधि नहीं है | )
अपने घरमे स्थापन और भक्तामर के मंगल पाठ का विशेष मार्गदर्शन के लिये संपर्क करे |