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शोचालय व वास्तुशास्त्र

शोचालय व वास्तुशास्त्र:

  1. पूर्व का शोचालय रिश्तेदारी ,पड़ोस,ऑफिस, मित्रमंडली से कम बनना या अनबन, सरकारी नौकरी मुश्किल से लगना, सरकारी नोकरी करने में कोई परेशानी, पिता से अनबन ,पहचान न मिलना
  2. पूर्व व अग्निकोण के बीच शोचालय बन सकता हैं।
  3. अग्निकोण में शोचालय – पति पत्नी मध्य अनबन, डायबिटीज, किडनी रोग, धनागमन में कमी, कोर्ट कचहरी, दूसरे नंबर के बेटे व बेटियों को कोई परेशानी, महिलाओं के पेट संबंधी रोग,विवाह में देरी
  4. अग्निकोण व दक्षिण मध्य – कार्यो को करने के लिए उमंग,उत्साह, आत्मविश्वास, ऊर्जा में कमी
  5. दक्षिण में शोचालय – महिलाओं को रोग,नाम,प्रसिद्धि में कमी,भाइयों मध्य विवाद,जमीन से परेशानी दे सकता है
  6. दक्षिण व दक्षिण पश्चिम मध्य  शोचालय बनाना सर्वश्रेष्ठ
  7. दक्षिण पश्चिम – धन में कमी,एक्सीडेंट,ह्रदय रोग, जीवन मे उथल पुथल मचा देता
  8. दक्षिण पश्चिम व पश्चिम मध्य – शिक्षा व बचत,लाभ में कमी
  9. पश्चिम – बचत,लाभ में कमी
  10. पश्चिम  व उत्तर पश्चिम मध्य शोचालय बनाना श्रेष्ठ
  11. उत्तर पश्चिम में शोचालय – मानसिक तनाव, अवसाद,चिंता,निराशा, वायरल  बीमारियां व बीमारियों की अधिकता, लड़ाई ,झगड़ा,विवाद, विदेश में परेशानी,तीसरे नबर के बेटे को कोई परेशानी
  12. उत्तर पश्चिम व उत्तर मध्य शोचालय – घर मे विवाद,पति पत्नी मध्य अनबन,तलाक,विवाह होने में परेशानी,लडके,लड़कियों का प्रेम में पड़ना व घर से भागना
  13. उत्तर में शोचालय – व्यापार ठप्प,धनागमन में रुकावट, बेटी को परेशानी,हकलाना,गलत वाणी,
  14. उत्तर व उत्तर पूर्व में शोचालय  छोटे से बड़े रोग,केंसर,ट्यूमर ,ऑपरेशन
  15. उत्तर पूर्व में शोचालय – या तो शुरू से ही या कुछ समय बाद रोने लायक भी नही छोड़ता,बड़े बेटे को परेशानी
  16. उत्तर पूर्व व पूर्व मध्य शोचालय – जीवन मे हास्य,मनोरंजन, उत्साह,उमंग में कमी

Note – उत्तर दिशा दाएं या बाएं हुई तो सारी दिशाएं उत्तर दिशा के अनुसार दाएं या बाएं होंगी व शोचालय भी इस तरह शौचालय 2,6,10 नंबर की जगह बनाये अर्थात किसी जगह 11 नंबर भी उत्तर दिशा हो सकती हैं और 15 नंबर पर भी उपाय  ईशान,नेऋत्य की टॉयलेट हटाना ही उचित है