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वास्तु ज्ञानामृत

🛕 वास्तु ज्ञानामृत 🛕

वास्तु शास्त्र के अनुसार लाभदायक द्वार बनाएं :-

👉घर की बनावट, उसकी दिशा, घर के सामान, पेड़ पौधे बताते हैं कि घर किस ग्रह के प्रभाव में है। सामान्यत: इन बातों को ध्यान में रख कर नया भूखंड खरीदना या बनवाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा नहीं करने पर लोगों को तमाम तरह की परेशनियों का सामना करना पड़ता है।

👉आइये हम आपको बताते हैं वास्तु शास्त्र के कुछ अहम टिप्स जिसे अपनाकर आप इन सभी समस्यों से निजात पा सकते हैं-

👉वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार का स्थान किस स्थान पर शुभदायक होता है इसका जिक्र पुराने सभी ग्रन्थो मे उल्लेख है । वास्तु शास्त्र में सभी चारो दिशाओं में कुल 32 द्वार का उल्लेख मिलता है । इन 32 द्वार में से कुल 9 द्वार लाभदायक बताये गए हैं ।

👉अगर आप वास्तु शास्त्र के अनुसार अपना कोई भी निर्माण कार्य करने जा रहे हैं, तो मुख्य प्रवेश द्वार बनाते समय वास्तु शास्त्र के निम्न नियमों का पालन करें।

👉वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिशा में लाभदायक द्वार का विधान किया गया है। आइये आज हम लोग प्रत्येक दिशा के लाभदायक द्वार की चर्चा करें।

👉 पुरे निर्माण कार्य को नौ बराबर भाग में बांट दे :-

👉 उत्तर दिशा के लाभदायक द्वार :-
अगर आप उत्तर दिशा में द्वार बनाने जा रहे हैं तो उत्तर दिशा की चौड़ाई को 9 हिस्से में बांट दे फिर वायव्य कोण। (उत्तर-पश्चिम) से दो भाग छोड़कर तीसरे , चौथे  और पांचवे भाग में द्वार बनाएं । तीसरा द्वार का नाम मुख्य है चौथे द्वार का नाम भल्लाट और पांचवे का नाम सौम्य (कुबेर) पर लाभदायक द्वार बनाएं । पांचवे भाग में स्थित कुबेर का द्वार धन के देवता कुबेर माने जाते हैं । अगर आपके घर मे कुबेर के स्थान पर द्वार बनाने में कोई दिक्कत है तो कुबेर वाली भाग में एक बड़ी खिड़की का निर्माण भी उतना ही लाभ देगा ।

👉 पूर्व दिशा के लाभदायक द्वार :-
अगर आप पूर्व दिशा में द्वार बनाने जा रहे हैं पूर्व दिशा की चौड़ाई का 9 भाग करें और  इशान कोण (उत्तर-पूर्व) से दो भाग छोड़कर तीसरे या चौथे भाग पर लाभदायक द्वार बनाएं। तीसरे द्वार का नाम  जय और चौथे द्वार का नाम इंद्र ( देवताओं के राजा ) है ।
इंद्र के स्थान पर द्वार बनाने से राजयोग बनता है इसलिए जो लोग राजनीति के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं उनको अपने निवास स्थल में इंद्र का द्वार जरूर बनाना चाहिए ।
ठीक इसके विपरीत जो लोग राजनीति के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं उनको अपने निवास स्थल में इंद्र के स्थान पर अगर कोई शौचालय या सेप्टिक टैंक बना हो तो उसे तुरंत हटाना चाहिए ।

👉 दक्षिण दिशा के लाभदायक द्वार :-
अगर आप दक्षिण दिशा में द्वार बनाने जा रहे हैं तो दक्षिण दिशा की चौड़ाई को 9 हिस्से में बांट दे और आग्नेय कोण (दक्षिण -पूर्व) से दो भाग छोड़कर तीसरे और चौथे स्थान  पर लाभदायक द्वार बनाएं। तीसरे भाग में स्थित द्वार का नाम वितथ और चौथे भाग के द्वार का नाम गृहक्षत है ।

👉 पश्चिम दिशा के लाभदायक द्वार :-
अगर आप पश्चिम दिशा में द्वार बनाने जा रहे हैं तो पश्चिम दिशा की चौड़ाई का 9 भाग करें और नेऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) से तीन भाग छोड़कर चौथे और पांचवे भाग पर लाभदायक द्वार बनाएं।
चौथे भाग में स्थित द्वार का नाम पुष्पदंत है और पांचवे भाग में स्थित द्वार का नाम
वरुण होता है