आधुनिक अपार्टमेंट में रहनेवालों के लिए ‘पाकशाला’ से सम्बन्धित कुछ वास्तु- जानकारियां :
वास्तु दृष्टि से उत्तर- पूर्व दिशा खुले रहनेवाला आयताकार या वर्गाकार क्षेत्र के अंदर अपार्टमेंट तैयार होना उचित है। अपार्टमेंट के असपास, श्मशान, चिकिच्छालय, कंसाई खाना, पतित या गन्दे नाली- नर्द्दमा- जलाशय, कचरे का स्टॉकयर्ड आदि नहीं होना चाहिए। इसी के कुछ दूर में हॉस्पिटल है तो देखना पड़ेगा की जैसे वंहा के गन्दी पानी, कचरे तथा दुर्गन्ध हवा अपार्टमेंट तक नहीं आये।।
अपार्टमेंट के उत्तर, पूर्व या ऐशान्य कोने में ‘जल स्रोत’ अर्थात नलकूप, पानी- टैंक रहना शुभप्रद। वास्तुविदों के दृष्टि से बाकी सभी दिशा नकारात्मक प्रभावक। विशेषतः अग्नि कोण के साथ जल का सम्पर्क कभी नहीं रहना चाहिए। वहुतल विशिष्ट अपार्टमेंट का ग्राउंड फ्लोर स्थित फ्लैट्स में रहने वालों पर ही अधिक नकारात्मक ऊर्जा की प्रभाव पड़ता है। इसीलिए अपार्टमेंट का ग्राउंडफ़्लोर को पार्किंग स्थान के लिए संरक्षित रखना उचित है। वंहा के लोगों के लिए फ्लेट से जुड़े अलग- अलग बालकोनी भी रहना चाहिए। वास्तु के अनुसार उत्तर- पूर्व दिशा अर्थात ऐशान्य कोण ही बालकोनी के लिए सही स्थान माना जाता है।।
पाकशाला और भोजन स्थान :
आधुनिक वास्तुशास्त्रों के अनुसार घर में किचेन (पाकशाला) और डाइनिंग (भोजन स्थल) उपयुक्त स्थान में होने से, वंहा के रहने वाले तथा भोजन करने वाले लोगों ने उत्तम स्वास्थ्य के साथ, पर्यावरण से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होते हैं। ऊर्जा से जुड़े निम्नोक्त कुछ वास्तु नियमों को भी बहुत लोग मान्यता देते हैं; यथा–
(1) आधुनिक तथा प्राचीन वास्तु- शास्त्र “अग्निकोण” में ‘पाकशाला’- निर्माण को सर्वमान्यता अर्पण करता हैं। परन्तु आजकल अनेक क्षेत्रों में उत्तर दिशा में भी ‘पाकशाला’ बनाने की भुयसी उदाहरण सामने उपलब्ध है और अनुभवियों के दृष्टि से उत्तर में स्थित पाकशाला कभी कंहा किसी परिवार के लिए क्षतिकारी होने की प्रमाण नहीं है।।
(2) ‘भोजन स्थान’ उत्तर दिग में होने से परिवार लोग खाद्य- पानीय पर ज्यादा गुरुत्व न दे कर, सिर्फ अपने कामकाज यानी क्यारिअर के प्रति नजर रखकर चलते हैं।।
(3) उत्तर- पश्चिम दिशा में स्थित ‘भोजन स्थान’ वंहा के लोगों को उत्तम स्वास्थ्य- सम्बर्द्धन के लिए भोजन में नियमितता रखने की प्रेरणा देता है।।
(4) पूर्व दिग का ‘भोजन स्थान’, लोगों को ज्यादा जंकफूड/ होटल से मंगाकर खाना खाने के लिए अनुप्रेरित करता है।।
(5) कुछ वास्तु- सलाहकार भी दक्षिण दिशा में स्थित ‘भोजन स्थान’ को मान्यता आरोप करते हैं, क्योंकि उनके हिसाब से यंहा स्थित भोजन स्थान लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के साथ- साथ सुख- सम्पर्णता प्रदान करता है। किन्तु अवसोस, अब मुख्य समस्या यही है कि वासोपयोगी भूमि तुलना में क्रमवर्द्धित जन संख्या से सृष्ट आजकल की अपार्टमेंट सभ्यता ही वास्तु- शास्त्र- नियमों को नजर अंदाज करने के लिए मजवूर कर देता है।।
उपरोक्त ‘पांच’ पॉइंट से 2 से 5 तक पॉइंट्स में कुछ विकल्प निर्देश भी कुछ ग्रन्थों में है। इसीलिए स्थान विशेष में सही दिग्दर्शन पाने के लिए, किसी अनुभवी वास्तु- सलाहकार का सहायता लेना चाहिए।।
(आधुनिक वास्तु शास्त्रों से संगृहीत कुछ जानकारियां को संक्षिप्त रूप से श्रद्धालुओं के लिए प्रसारक :
ॐ श्री वास्तुपुरुषाय नमः।।